शक्ति से सामर्थ्य बांध कर,
शरीर अपना संचित कर,
जो जो व्यर्थ वस्तुएं हैं,
उन सब से खुद को वंचित कर।
प्राणायाम की राह पकड़कर,
आयाम नए तो पाता चल,
योग स्वास्थ्य को जोड़ सके,
वो मंत्र राग तू गाता चल।
चिंताओं की चिता सजा दे, योग ध्यान कर बढ़ना होगा।
रोगों की खाई से ऊपर, कदम बदलकर चढ़ना होगा।
सूर्य से पहले उठ जाने को,
खुद ही खुद से लड़ना है,
पहला सुख निरोगी काया,
मन ही मन में गढ़ना है।
आलस आएगा आड़े पर,
उसे हराकर चलता चल,
आरोग्य के राही ढूँढ उसे तू
योगी काया में ढलता चल।
व्याधि रोग व दोष सभी को, कुचल रौंद कर पलना होगा।
महामारी की इस अवधि में, कदम बदल कर चलना होगा।
रचनाकार:
अमन कुमार झा